Saturday, March 22, 2014

"ग़ज़ल" : By- Irfan Nasirabadi

हम जुबां हम नवा नहीं मिलता,
 वरना दुनिया में क्या नहीं मिलता,

 दिल की गहराइयों में डूबेंगे,
 देखे कैसे खुदा नहीं मिलता,

 मुझको मंजिल क़रीब लगती है,
 वरना क्यूँ रास्ता नहीं मिलता,

 वक़्त पे खुद को छोड़ देते हैं,
जब कोई आसरा नहीं मिलता,

गर ज़माने में कुछ वफ़ा होती,
फिर कोई बेवफा नहीं मिलता,

 किस से 'इरफ़ानहाले दिल कहिये,
जब कोई आशना नहीं मिलता,

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